Sunita gupta

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स्वैच्छिक विषय एक स्त्री

जो समाज न दे सका एक स्त्री को ....
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सुनो....
और शायद कुछ भी 
न दे सकूँ तुम्हें...
लेकिन एक स्वीकृति जरूर देता हूँ
जो समाज कभी न दे सका
एक स्त्री को.....

हाँ.... तुम रो सकती हो

जब कभी घेर लें बेहद दुःख
भयानक बेचैनी और अकेलापन
तब....
मेरी गोद मे सर रखकर 
तुम रो सकती हो ...
हाँ... तुम रो सकती हो!!

और मैं समेट लूंगा 
अपनी पलकों पर
तुम्हारी आंखों से गिरता हुआ हर दुःख
फिर...मैं कभी न रोऊं शायद...
तुम्हारे दुःख मेरी आँखों से
बह जाने के डर से...
शायद .....कभी न रोऊं!!⬇️
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर 

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3 Comments

Muskan khan

20-Apr-2023 10:52 AM

Nice

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बहुत खूब

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अदिति झा

19-Apr-2023 03:31 PM

Nice 👍🏼👍🏼

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